थैलेसिमिया के खिलाफ अभियान को मिला इस अभिनेता का साथ
सेहतराग टीम
इंसानी शरीर को सही तरीके से विकसित होने के लिए खून में लाल रक्त कोशिकाओं की सख्त जरूरत होती है और हर स्वस्थ्य व्यक्ति के शरीर में मौजूद बोन मैरो ये कोशिकाएं स्वाभाविक रूप से जीवन पर्यंत बनती रहती हैं। मगर दुनिया में कई लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें प्रकृति का यह वरदान हासिल नहीं होता है और वो जन्म से ही एक दुर्लभ किस्म की बीमारी के साथ पैदा होते हैं जिसके कारण उनके शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बनतीं। ये दुर्लभ बीमारी है थैलेसिमिया जो कि जेनेटिक बीमारी है जिसमें बोन मैरो लाल रक्त कोशिकाएं बनाने में असमर्थ हो जाता है और इसके कारण शरीर का विकास प्रभावित होता है। इस बीमारी से पीड़ित लोगों को जीवन पर्यंत ब्लड ट्रांसफ्यूजन यानी कि बाहर से खून चढ़ाने तथा अन्य उपचारों की जरूरत पड़ती है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट के जरिये इसका स्थाई इलाज किया जा सकता है मगर ये बेहद जटिल प्रक्रिया है।
हालांकि बच्चे के जन्म से पहले माता-पिता की जैविक जांच करके यह पता लगाया जा सकता है कि वो दोनों थैलेसिमिया के वाहक तो नहीं हैं क्योंकि ऐसे में होने वाले बच्चे में थैलेसिमिया होने की आशंका बहुत अधिक बढ़ जाती है।
थैलेसिमिया के बारे में जागरूकता फैलाने संबंधी अभियान को बॉलीवुड अभिनेता जैकी श्रॉफ का साथ मिला है। जैकी श्रॉफ ने कहा है कि इस रक्त विकार की रोकथाम की जा सकती है लेकिन इसे लेकर जागरूकता की कमी है। श्रॉफ थैलेसिमिया इंडिया के ब्रांड अंबेसेडर हैं।
अभिनेता ने कहा कि जब उनकी पत्नी आयशा गर्भवती थी और उनकी बेटी कृष्णा को जन्म देने वाली थीं तो उनकी सास ने उन्हें थैलेसिमिया का इंजेक्शन लगवाने का आग्रह किया। उन्हें बाद में पता चला कि वह थैलेसीमिया से पीड़ित हो सकती थीं।
श्रॉफ के अनुसार, ‘इसकी ( थैलेसिमिया की ) रोकथाम की जा सकती है और लोग इससे बच सकते हैं। मुझे नहीं पता कि हम क्यों इसे उचित तरीके से प्रचारित नहीं कर रहे हैं। जागरूकता फैलाई जा सकती है लेकिन हमें यह सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के समर्थन की जरूरत है कि जांच करने के लिए मशीने हैं। कार्यशालाएं भी होनी चाहिए।’
61 वर्षीय अभिनेता का मानना है कि थैलेसिमिया के बारे में जागरूकता फैलाने में सिनेमा का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय का समर्थन अहम है।
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